ये गुल जिस ख़ाक से लाया गया है उसे अफ़्लाक से लाया गया है चमन पे रंग आता ही नहीं था तिरी पोशाक से लाया गया है ये दिल जिस से मैं शर्मिंदा बहुत हूँ उसी बेबाक से लाया गया है उजाला है जो ये कौन-ओ-मकाँ में हमारी ख़ाक से लाया गया है ये जो कुछ भी है आया है कहाँ से दिल-ए-सद-चाक से लाया गया है यहाँ कितनों ने देखा है जो तूफ़ाँ ख़स-ओ-ख़ाशाक से लाया गया है