उस ख़ुश-अदा के आइना-ख़ाने में जाऊँगा फिर लौट कर मैं अपने ज़माने में जाऊँगा रह जाएगी ये सारी कहानी यहीं धरी इक रोज़ जब मैं अपने फ़साने में जाऊँगा ये सुब्ह ओ शाम यूँही रहेंगे मिरे चराग़ बस मैं तुझे जलाने बुझाने में जाऊँगा ये खेल है तो ख़ूब मगर तेरे हाथ से इस टूटने बिगड़ने बनाने में जाऊँगा यूँही मैं ख़ुद को ख़्वाब दिखाने में आ गया यूँही मैं ख़ुद को ख़्वाब दिखाने में जाऊँगा