ये ज़िंदा रहने का मौसम गुज़र न जाए कहीं अब आ भी जाओ दिल-ए-ज़ार मर न जाए कहीं मिरा सितारा तो अब तक नज़र नहीं आया मैं डर रहा हूँ कि ये शब गुज़र न जाए कहीं नदी किनारे खड़ा पेड़ सोच में गुम है कोई भँवर उसे बर्बाद कर न जाए कहीं परिंदे अपने ठिकानों को ख़ैर से पहुँचे दुआ यही है कि कोई ठहर न जाए कहीं गिला भी ख़ुद से है और सिलसिला भी ख़ुद से है हमारी बात इधर से उधर न जाए कहीं