ये जो हम इख़्तिलाफ़ करते हैं आप का ए'तिराफ़ करते हैं आओ धोते हैं दिल के दाग़ों को आओ आईने साफ़ करते हैं तुम को ख़ुश देखने की ख़ातिर हम बात अपने ख़िलाफ़ करते हैं मुजरिम-ए-इश्क़ तू भी है ऐ दोस्त जा तुझे हम मुआ'फ़ करते हैं लफ़्ज़ के घाव हों तो कैसे भरें लफ़्ज़ गहरा शिगाफ़ करते हैं