ये जो ठहराव है रवानी में इक कथा और है कहानी में हाए अफ़्सोस हाए हाए दिल कट गई उम्र राइगानी में काँच प्याला था किरची किरची हुआ आ गया जब उबाल पानी में दश्त में जा के ख़ुद-कुशी कर ली न लगा दिल जो बाग़बानी में मौत यक-लख़्त आ भी सकती है कब है ताख़ीर ना-गहानी में मसअला हल किसी तरह भी हो आग लग भी चुकी है पानी में दिल है ख़ाली मकान सा 'आदिल' दोस्त बिन क्या है ज़िंदगानी में