ये ख़ुश-फ़हमी बचाव के लिए है कि दरिया बस बहाव के लिए है चुराने दूँ किसी सूरज को कैसे ये शबनम जो अलाव के लिए है तिरी ताली भी कोई फ़ित्ना होगी तिरी थपकी भी ताव के लिए है बे-मरहम ही रहो कि ये नमक तो हमारे अपने घाव के लिए है धड़कना भी ज़रूरी नईं है इस का न ही ये दिल लगाव के लिए है अभी महफ़ूज़ हैं मल्लाह सारे भँवर फ़िलहाल नाव के लिए है हवा में ग़र्क़ है हर मौज 'सागर' किनारा भी कटाव के लिए है