ये ख़्वाब जिस ने दिखाए थे इक सफ़र के मुझे वो अश्क दे गया आँखों में उम्र भर के मुझे है फ़न में यकता वो सय्याद हो कि हो दिलबर उड़ान भरने को कहता है पर कतर के मुझे कठिन था रास्ता दुश्वार थी हर इक मंज़िल कोई दिखाए उसी राह से गुज़र के मुझे मैं उस की ख़ास नज़र से तड़प तड़प उठ्ठूँ वो इतने प्यार से देखे ठहर ठहर के मुझे ज़रा सी देर ठहरने दे ऐ ग़म-ए-दुनिया ज़रा सा देख ले वो भी तो आँख भर के मुझे मिरे ख़याल की उलझन कहाँ सुधरती है गुल-ए-बहार ने देखा है फिर सँवर के मुझे सुलग रही हूँ मैं साँसों की तेज़ भट्टी में पिला रहा है वो उल्फ़त के जाम भर के मुझे वो शहद घोल रहा है समाअ'तों में मिरी बुला रहा है कोई बाम से उतर के मुझे धड़क रहा है मोहब्बत में दिल मिरा 'अफ़रोज़' गुज़र रही हैं हवाएँ भी प्यार कर के मुझे