ये लोग ढूँड रहे हैं यहाँ वहाँ मुझ को तलाश करते नहीं अपने दरमियाँ मुझ को मैं अगले पिछले ज़मानों से हो के आया हूँ कहीं नज़र नहीं आए हैं रफ़्तगाँ मुझ को वो जिस में लौट के आती थी एक शहज़ादी अभी तलक नहीं भूली वो दास्ताँ मुझ को ये किस ने कर दिया सैक़ल ज़मीं का आईना तह-ए-ज़मीं नज़र आता है आसमाँ मुझ को अजीब शख़्स है जिस ने कहीं नहीं जाना ये कह के देखता जाता है कारवाँ मुझ को मुझे ख़बर है कहानी का अंत आ गया है मुझे ख़बर है कि होना है राएगाँ मुझ को