ये मेरे सामने शीशा लगा दिया किस ने ये मुझ को आज मुझी से मिला दिया किस ने वो अपने चेहरे का ढूँढे है दाग़ शीशे में है दाग़ चाँद पे उस को बता दिया किस ने वो जिस के अश्कों से पूरी ज़मीन गीली है हवा से पूछो घटा को रुला दिया किस ने था क़ैद दिल का परिंदा जो उन की आँखों में नज़र ये उन से मिला कर उड़ा दिया किस ने मैं एक खोटा हूँ सिक्का परखने वालो गर मुझे बाज़ार में ला कर चला दिया किस ने मरीज़-ए-इश्क़ हूँ दीदार मेरी हसरत है वो पूछते हैं के पागल बना दिया किस ने किसी की रोया न मय्यत पे तो कभी 'आकिब' ये याद आई है किस की रुला दिया किस ने