ये मुझ में जो बे-इंतिहा तन्हाई है इस दश्त की आब-ओ-हवा तन्हाई है मैं दर्द के नग़्मे सुनाऊँगा तुम्हें तुम जान लेना मुद्दआ' तन्हाई है मुझ तक पहुँचने को है इक राह-ए-अमल और जान लो वो रास्ता तन्हाई है जो भीड़ में चेहरे कहीं गुम हो गए उन से मिरा अब राब्ता तन्हाई है मैं उस मक़ाम-ए-ज़ात तक लाया गया हर इब्तिदा हर इंतिहा तन्हाई है जिस को यहाँ पर कामयाबी मिल गई उस की सज़ा तन्हाई या तन्हाई है