ये नफ़रत का बग़ीचा ख़ाक कर दें चलो हम अपना ग़ुस्सा ख़ाक कर दें कुछ इक किरदार इतराने लगे हैं ये गोया सारा क़िस्सा ख़ाक कर दें हमारे पावँ के छाले न देखो हमें बतलाओ रस्ता ख़ाक कर दें हमीं ने दश्त से ज़मज़म निकाला जो हम चाहें तो दरिया ख़ाक कर दें हमें डर है जिन्हें मंसब मिला है कहीं वो ही न नक़्शा ख़ाक कर दें ये इक दिन अपनी कमज़ोरी बनेगी चलो सब फ़ित्ना वितना ख़ाक कर दें मोहब्बत किस तरह साबित करें हम बता अब ख़ुद को कितना ख़ाक कर दें अदब इतना कि क़दमों में पड़े हैं अना इतनी कि लंका ख़ाक कर दें तुझे तो ख़ाक कर ही देंगे इक दिन मगर पहले ये रिश्ता ख़ाक कर दें