ये सच है कोई रहनुमा ठीक नईं मिरे भाई तू भी चला ठीक नईं अदीबों को सच बोलना चाहिए सियासत की आब-ओ-हवा ठीक नईं निगाहों से मेला न हो जाए वो उसे देर तक देखना ठीक नईं हमें तो वही सम्त मर्ग़ूब है बला से उधर रास्ता ठीक नईं चलो धूप से आश्नाई करें ये दीवार का आसरा ठीक नईं नमी आँख में हाथ में थरथरी तिरे माँगने की अदा ठीक नईं ज़माना मुख़ालिफ़ था क़िस्मत ख़राब 'मुज़फ़्फ़र' यहाँ कुछ भी था ठीक नईं