ये सीम-ओ-ज़र तो हैं आसाइश-ए-जहाँ के लिए मुझे है ग़म की ज़रूरत सुकून-ए-जाँ के लिए निराला मेरी फ़ुग़ाँ का है दोस्तो अंदाज़ मैं कर रहा हूँ फ़ुग़ाँ रुख़्सत-ए-फ़ुग़ाँ के लिए तुम्हारे इश्क़ से बढ़ कर वतन की उल्फ़त है यही है तुर्रा-ए-इज़्ज़त हर इक जवाँ के लिए वो क्या करेंगे मोहब्बत हमारे गुलशन से जो ढूँडते हैं चमन और आशियाँ के लिए चमन में ख़ार यही पूछते हैं फूलों से बहार आई है क्या सारे गुलिस्ताँ के लिए फ़ना-पज़ीर है फूलों का रंग मुर्ग़-ए-क़फ़स हमेश्गी है तिरे चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ के लिए यहाँ से जाने को होता नहीं है जी हरगिज़ सराए किस ने सजाई ये मेहमाँ के लिए