ये तेरा ख़याल है कि तू है जो कुछ भी है मेरी आरज़ू है दिल पहलू में जल रहा है जैसे ये कैसी बहार-ए-रंग-ओ-बू है तक़दीर में शब लिखी गई थी कहने को ये ज़ुल्फ़-ए-मुश्कबू है वो दस्त-ए-ख़िज़ाँ से बच गया है जिस फूल में रंग है न बू है पत्थर को तराश कर भी देखो ये फ़न भी ख़ुदा की जुस्तुजू है परदेस है शहर शहर मेरा अग़्यार की जिस में आबरू है तक़्दीस के सर में ख़ाक देखी तहज़ीब के हाथ में सुबू है मैं जीने से तंग आ गया हूँ ऐ मौत सुबूत दे कि तू है देखो तो 'ज़फ़र' कहाँ है यारो दीवाने का ज़िक्र कू-ब-कू है