ये वादियाँ ये फ़ज़ाएँ बुला रही हैं तुम्हें ख़मोशियों की सदाएँ बुला रही हैं तुम्हें तरस रहे हैं जवाँ फूल होंट छूने को मचल मचल के हवाएँ बुला रही हैं तुम्हें तुम्हारी ज़ुल्फ़ों से ख़ुशबू की भीक लेने को झुकी झुकी सी घटाएँ बुला रही हैं तुम्हें हसीन चम्पई पैरों को जब से देखा है नदी की मस्त अदाएँ बुला रही हैं तुम्हें मिरा कहा न सुनो उन की बात तो सुन लो हर एक दिल की दुआएँ बुला रही हैं तुम्हें