ये वहशत-ए-तन्हाई सौग़ात है उल्फ़त की ये कर्ब की पहनाई सौग़ात है उल्फ़त की कहते हैं सभी मुझ को आवारा-ओ-नाकारा ये दौलत-ए-रुस्वाई सौग़ात है उल्फ़त की वो हार के भी जीतें हम जीत के भी हारें ये मात ये पसपाई सौग़ात है उल्फ़त की हम लोग हक़ीक़त से वाक़िफ़ थे कहाँ पहले ये रम्ज़-ए-शनासाई सौग़ात है उल्फ़त की हम हँस के जो सहते हैं हर ज़ुल्म ज़माने का ये दिल की शकेबाई सौग़ात है उल्फ़त की हर शख़्स के होंटों पर नग़्मे जो तुम्हारे हैं 'काशिफ़' ये पज़ीराई सौग़ात है उल्फ़त की