यूँ अयाँ तुझ को देखते हैं हम कि निहाँ तुझ को देखते हैं हम नहीं वादीद मा-सिवा दरकार बे-निशाँ तुझ को देखते हैं हम ग़ैर की वाँ नज़र नहीं जाती अब जहाँ तुझ को देखते हैं हम दीदनी कुछ नहीं ज़माने में जावेदाँ तुझ को देखते हैं जान देने पे क्यूँ न हूँ राज़ी जाँ-सिताँ तुझ को देखते हैं हम यूँ करें हम को पाएमाल अदू आसमाँ तुझ को देखते हैं हम यूँ वो गुल-गश्त को चले आएँ गुलिस्ताँ तुझ को देखते हैं हम आज अपना कहा सुना हो मुआ'फ़ ना-गहाँ तुझ को देखते हैं हम आरज़ू गो कि एक हर्फ़ है तो दास्ताँ तुझ को देखते हैं हम न करें अब कलीम से भी कलाम हम-ज़बाँ तुझ को देखते हैं हम हम और अग़्यार से गिला तेरा बद-गुमाँ तुझ को देखते हैं हम और करना है चर्ख़ को दुश्मन मेहरबाँ तुझ को देखते हैं हम उस का आना यक़ीं है क्या 'सालिक' निगराँ तुझ को देखते हैं हम