यूँ देख न बे-कार का कठ-पुतली तमाशा इस दौर-ए-फ़ुसूँ-कार का कठ-पुतली तमाशा इस शहर का हर झूटा ख़ुदा देख रहा है हक़दार की दस्तार का कठ-पुतली तमाशा मत पूछ है कल रात से तकरार की ज़द में तस्वीर से दीवार का कठ-पुतली तमाशा पाज़ेब की झंकार पे अब ख़ूब सजेगा इम-शाम भी बाज़ार का कठ-पुतली तमाशा ख़ामोश नहीं ख़ून में शिद्दत से रवाँ है मक़्तल में अभी दार का कठ-पुतली तमाशा औरत की कहानी हो कि 'राहिब' का फ़साना फ़नकार है किरदार का कठ-पुतली तमाशा