यूँ भी बाक़ी हैं अभी जीने के आसार मिरे बिस्तर-ए-मर्ग से उट्ठे हैं कई यार मिरे मौज-ए-इदराक से सूरज की शुआएँ फूटीं तो नज़र आए कुछ अन-देखे से किरदार मिरे सीना-ए-शब में मचलता है उदासी का बदन एक तस्वीर में दिखते हैं ये आज़ार मिरे ख़्वाब बाज़ार में लाया हूँ तिजारत के लिए सोच कर करना ज़रा सौदा ख़रीदार मिरे हर नज़ारे में छुपा बैठा है मन का जोबन किस तरह ख़ुद को सँभालेगा ऐ हुशियार मिरे अपनी आँखों में तिरी प्यास लिए फिरता हूँ इक नज़र मेरी तरफ़ देख ऐ दिल-दार मिरे मुझ को सहरा में ज़रा ख़ाक उड़ानी है अभी इस लिए देर से आएँगे परस्तार मिरे पहले मुश्किल से समुंदर में सफ़ीना उतरा और फिर छूट गई हाथ से पतवार मिरे मैं ने लफ़्ज़ों से बुना है वो ज़माना यारो ग़ौर करने पे नज़र आएँगे अशआ'र मिरे