यूँ वो ब-हर लिहाज़ मिरे भाइयों में था ये और बात है कि तमाशाइयों में था कुछ महफ़िलों में था न शनासाइयों में था जो लुत्फ़-ए-अंजुमन मिरी तन्हाइयों में था जलते हुए मकान की खिड़की से झाँक कर देखा तो वो भी शहर के बलवाइयों में था दीवार-ओ-दर से झाँक रही थीं नहूसतें आसेब किस तरह का ये अँगनाइयों में था