ज़ख़्म रख देना दाग़ रख देना सीना सीना चराग़ रख देना सपना सपना महक महक जाऊँ मेरी नींदों में बाग़ रख देना जिस्म के सुर तमाम छेड़ूँगा उँगलियों में दिमाग़ रख देना चाह की बे-क़रार नब्ज़ों पर बढ़ के दस्त-ए-सुराग़ रख देना तपते होंटों से मैं भी छू लूँगा मुस्कुराते अयाग़ रख देना सर्द लम्हों की ताक़ पर अपना शो'ला-सामाँ दिमाग़ रख देना