फूल परी जब उड़ जाएगी फिर माँगेंगे ख़ुशबू लोग वहशी नाफ़ा गिराँ न रहे तो ढूँडने भागे हर सू लोग छूने चले हो दुनिया को तुम इक साया है हाथ न आए जादू है ये नील की पुड़िया हम जादू और जादू लोग फेर उलट है चर्ख़-ए-जहाँ का साथ निभाए किस का जिगर ख़ून पिया है जस ने हमारा पी गए उस के आँसू लोग भाग सके तो भाग ले मनवा नाख़ुनों वाली बस्ती से कैसे निभेगी इस जंगल में ये चीते हम आहू लोग हम कि ग़ज़ालाँ शहर-ए-अमाँ का रस्ता पूछते फिरते हैं सेहन-ए-हरम को रोक के बैठे नज्द-ए-सग और बद्दू लोग