ज़मीन-ए-दिल पे सभी आसमान छोड़ गया वो इक यक़ीन था लेकिन गुमान छोड़ गया नई ज़मीन नया आसमान छोड़ गया तिरा वजूद मिरी दास्तान छोड़ गया हर एक साँस में क्यों इम्तिहान छोड़ गया निढाल जिस्म में वो सख़्त जान छोड़ गया न जाने कितने सवालों को दे दिया मौक़ा वो बे-ज़बान था लेकिन बयान छोड़ गया गया सफ़र पे तो फिर लौट कर नहीं आया वो अपने पाँव के लेकिन निशान छोड़ गया नया इरादा नई मंज़िलों को पाने में पुरानी सोच पुरानी तकान छोड़ गया 'ज़हीन' दिल था जो पहले ही दे दिया उस को अब इक दिमाग़ बचा था सो ध्यान छोड़ गया