ज़मीं में या दरून-ए-आसमाँ हूँ मुझे ढूँडो तो आख़िर मैं कहाँ हूँ अंधेरे तो निगल जाएँ मुझे भी मैं लाखों जुगनूओं के दरमियाँ हूँ मिरी यख़-बस्तगी इक मस्लहत है मैं शो'ला शो'ला हूँ आतिश-फ़िशाँ हूँ है इक वीराँ जज़ीरा मेरा मस्कन मैं अपने राज़ का ख़ुद राज़दाँ हूँ मिरी तख़्लीक़-कर्दा कुछ फ़सीलें जवानिब में हैं और मैं दरमियाँ हूँ मैं ख़ुद ही अपनी कश्ती अपना दरिया मैं ख़ुद ही नाख़ुदा हूँ बादबाँ हूँ मैं अपनी धुन में इक झरने के जैसा मैं अपनी रौ में इक मौज-ए-रवाँ हूँ है मेरे हाथ में तेग़-ए-मुक़द्दर हिसार-ए-कुश्त-ओ-ख़ूँ के दरमियाँ हूँ अभी तक मैं ग़ुबार-ए-कारवाँ था मगर अब मैं अमीर-ए-कारवाँ हूँ मिरे अतराफ़ में मश्कूक हैं सब अकेला मो'तबर मैं ही यहाँ हूँ मैं ख़ुद ही लश्कर-ए-जर्रार अपना मैं ख़ुद अपना अलम अपना निशाँ हूँ