ज़ियादा साज़-ओ-सामाँ कुछ नहीं ऐ बाग़बाँ मेरा बना है चार तिनकों से चमन में आशियाँ मेरा शबाब-ए-बेवफ़ा की किस से ऐ पीरी ख़बर मिलती फिरा अब तक न जा कर क़ासिद-ए-उम्र-ए-रवाँ मेरा वफ़ा-दारी के जौहर आप हो जाएँगे आईना तुम्हें ख़ुद हाल खुल जाएगा वक़्त-ए-इम्तिहाँ मेरा रवाँ है क़ाफ़िला अश्कों का हर दम चश्म-ए-गिर्यां से चला जाता है रोज़-ओ-शब बराबर कारवाँ मेरा अदा-ए-गअरज़-ए-मतलब में ग़ज़ब की कामयाबी है अजब हुस्न-ए-तलब रखता है अंदाज़-ए-फ़ुग़ाँ मेरा तफ़ावुत है ज़मीन-ओ-आसमाँ का इज्ज़-ओ-नख़वत में ख़याल-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ ऐ दिल कहाँ उन का कहाँ मेरा शब-ए-फ़ुर्क़त का सोया शोर-ए-सुब्ह-ए-हश्र से चौंका 'शहीर' इस से ज़ियादा होगा क्या ख़्वाब-ए-गिराँ मेरा