अह्ल-ए-फ़न का ज़वाल Admin फ़ैसला शायरी, Latiife << ज़बान दराज़ी “ये नक़्श फ़र्यादी है किस ... >> शेर-ख़्वानी से क़ब्ल शोअ’रा हज़रात कुर्सीयों पर बैठे थे। मुशायरा शुरू होने से पहले ये फ़ैसला हुआ कि फ़र्शी नशिस्त हो। चुनांचे गोपी नाथ अमन ने शोअ’रा को कुर्सीयों पर से फ़र्शपर बुलाते हुए कहा: “हज़रात! अब अह्ल-ए-फ़न का ज़वाल हो रहा है।” Share on: