मेरा बच्चा राहम जब स्कूल से लौटा मैं ने उस से बस्ता अपने हाथ ले कर उस से पूछा इतना भारी क्यूँ है बस्ता तीन किताबें ले कर तुम स्कूल गए थे इक पानी की बोतल थी और लंच बक्स था इतना भारी क्यूँ है बस्ता बोला बाबा मैं क्या बोलूँ रोज़ तो ये हल्का होता है आज न जाने भारी क्यूँ है मुझ को कुछ तशवीश हुई तो मैं ने उस का बस्ता खोला खोल के देखा तीन किताबें नहीं थीं उस में छे थीं पानी की बोतल भी एक नहीं थी दो दो थीं लंच बक्स भी दो थे लेकिन एक ही जैसे राहम का कुछ ख़ाली था पर दूसरा पूरा भरा हुआ था सोचा कैसे हो सकता है ये तो राहम का बस्ता है इक बस्ते में सारी चीज़ें दो दो क्यूँ हैं एक दम मुझ को याद आया कि कल स्कूल के छलनी बच्चों में इक बच्चा राहम जितनी उम्र का भी था बिल्कुल राहम के जैसा था राहम जैसा ही बस्ता था पानी बोतल भी वैसी लंच बक्स का कलर वही था वो भी मेरा ही बच्चा था वो भी कल स्कूल गया था आज उस ने स्कूल की छुट्टी कर ली है अब वो छुट्टी पर ही रहेगा उस का बस्ता रोज़ उठा कर मेरा बच्चा घर आएगा