तौसीफ़-ए-बे-कनार का हक़दार आदमी दुनिया-ए-शश-जिहात का सरदार आदमी सच पूछिए अगर तो है दोनों जहान में तख़्लीक़-ए-ज़ुल-जलाल का शहकार आदमी खूँ-ख़्वार आदमी कहीं ग़म-ख़्वार आदमी दीं-दार आदमी कि गुनाहगार आदमी आदम के दोनों बेटों की सूरत जहान में है आदमी से बरसर-ए-पैकार आदमी नादार आदमी कोई ज़रदार आदमी ख़रकार आदमी कोई बेगार आदमी है तुर्फ़ा इक तमाशा पस-ए-आदमी सदा पर्दे पे ज़िंदगी के अदाकार आदमी ज़ालिम है आदमी कभी मज़लूम आदमी अय्यार आदमी कभी मासूम आदमी उलझा हुआ है ऐसा मन-ओ-तू के दरमियाँ मसरूर आदमी कभी मग़्मूम आदमी है शाद आदमी कभी नाशाद आदमी है सैद आदमी कभी सय्याद आदमी है आदमी के रूप में बहरूप हर तरफ़ हिर्स-ओ-हवा के दौर में बर्बाद आदमी मजबूर आदमी कभी मंसूर आदमी आजर है आदमी कभी मज़दूर आदमी हर लम्हा इक तज़ाद है इस की सरिश्त में आजिज़ है आदमी कभी मफ़रूर आदमी क़ुदसी से भी बड़ा है ये नाचीज़ आदमी महबूब-ए-किब्रिया है ये नाचीज़ आदमी ज़ुल्मत-ब-दोश दह्र में देखो जो ग़ौर से तनवीर-ए-बे-बहा है ये नाचीज़ आदमी तस्वीर-ए-सद-निगार है दुनिया में आदमी पैग़म्बर-ए-बहार है दुनिया में आदमी सच पोछिए तो वुसअ'त-ए-इंसाँ की हद नहीं इक बहर-ए-बे-कनार है दुनिया में आदमी