चौधवाँ दिन लगातार है डाक्टरों की ये आँखों को पढ़ते हुए ना-उमीदी के पारे को चढ़ते हुए चौधवाँ दिन है आँखें बिना मास्क के एक इंसान भी देखने को तरसती हुई चौधवाँ दिन लगातार है लाल नीली दवाएँ लहू में मुसलसल उतरती हुईं चौधवाँ दिन लगातार है जब अज़ीज़ों की आवाज़ कानों में आई नहीं चौधवाँ दिन लगातार है जब किसी ने भी घर की बनी चीज़ कोई भी खाई नहीं चौधवाँ दिन लगातार है जब क़ज़ा बाल खोले हुए हॉस्पिटल के हर वॉर्ड में रक़्स करती हुई और भयानक हँसी ख़ौफ़ से काँपती ज़िंदगी के क़रीब आ के हँसती हुई चौधवाँ दिन लगातार है दर्द से छटपटाते हुए दर्जनों लोग इस हॉस्पिटल में आते हुए चौधवाँ दिन लगातार है दर्जनों लोग ताबूत में हॉस्पिटल से जाते हुए