मिरी अर्धांगिनी मेरी शहादत की ख़बर सुन कर तुम अपनी ज़ुल्फ़ से कहना कि अब काली घटा हो जा गिरे बिजली पे बिजली दुश्मनों पर इक क़ज़ा हो जा सुहागन चूड़ियों को तोड़ कर इक बम में भर देना और अपनी माँग के सिंदूर को बारूद कर लेना रज़िय्या की तरह तुम सूँतना तलवार दुश्मन पर उड़ाना दुश्मनों के सर को तुम दुर्गावती बन कर तुम अपनी आँखों से आँसू नहीं अंगार बरसाना कोई सूरत न हो तो आग में जौहर की जल जाना मुझे विश्वास है तुम पर कि जीवन-संगिनी हो तुम तुम अपनी आन को जाने न दोगी पदमनी हो तुम