आख़िरी मुलाक़ात By Nazm << अंदेशा जुस्तुजू >> दूर तक फैले हुए एक घने जंगल में दो-शजर खींच के सायों को जहाँ मिलते हैं इस जगह धूप भी सूरज से मिला करती है ओढ़ कर शाम की फूलों-भरी चादर अक्सर जैसे दो शख़्स बिछड़ने के लिए मिलते हैं Share on: