तुम्हारी ख़ामोश सुलगती साँसों में अपने वजूद का एहसास ढूँढता रहता हूँ मैं आज-कल वो साँसें जिन की हर ऊँच-नीच में मेरे नाम का आहंग था वो साँसें जो तुम्हारे बेचैन धड़कते दिल से मुतमइन मेरे नाम का तवाफ़ करती थीं जिन की हर इक आहट में मेरा नाम गूँजता था आज उन साँसों में वो जो मेरी साँसें थीं न उन में मुझे अपने वजूद का एहसास नहीं मिल रहा क्या मैं अदम हो चुका हूँ हो चुका हूँ इतना बेताब हूँ मैं इतना बेचैन हूँ मैं की मेरी आँखों से अश्क क़तार-दर-क़तार बहते हैं और ज़मीन पर से रेंगते हुए तुम्हारी साँसों में मेरे वजूद के एहसास की जुस्तुजू में निकल पड़ते हैं