रौशनियों से घिरे एक बहुत बड़े मैदान में किसी ने एक पुराना कैलन्डर लटका कर वहाँ मौजूद तमाम अफ़राद से ये कहा है कि वो इस में आज का दिन और आज की तारीख़ तलाश करें लोग इस कैलन्डर का एक और वर्क़ उलटते हुए मायूसी के समुंदर में ग़र्क़ हो रहे हैं उन की ये कोशिश ऐसी ही है कि जैसे कोई किसी बंद घड़ियाल से सही वक़्त की तवक़्क़ो कर रहा हो ऐसा महसूस हो रहा है कि वहाँ मौजूद तमाम अफ़राद अपने ही जनाज़े में शरीक हैं और अपने ही दफ़्न होने के मंज़र