ख़ुदाया आरज़ू मेरी यही है ये हसरत दिल में करवट ले रही है बनूँ कमज़ोर लोगों का सहारा दुखी लोगों को दूँ हर दम दिलासा ज़ईफ़ों बे-कसों के काम आऊँ ग़रीबों मुफ़लिसों के काम आऊँ मैं अपने दोस्तों का दुख उठाऊँ जो रूठे हों उन्हें हंस कर मनाऊँ बुराई से सदा लड़ता रहूँ मैं भला हर काम ही करता रहूँ मैं हमेशा अलम से रख्खूँ में उल्फ़त किताबों से सदा रख्खूँ मोहब्बत जो भटके हों उन्हें मंज़िल दिखाऊँ जो अंधे हों उन्हें रस्ता बताऊँ करूँ माँ बाप की दिल से मैं ख़िदमत रखूँ उस्ताद से अपने मोहब्बत बुज़ुर्गों की नसीहत पर करूँ मैं मैं नफ़रत के चराग़ों को बुझाऊँ दिया अम्न ओ मोहब्बत का जलाऊँ करूँ अपने वतन की पासबानी अता करना मुझे वो नौजवानी ख़ुदाया आरज़ू कर दे ये पूरी यही बस इल्तिजा है तुझ से मेरी