अरे प्यारे बच्चो ज़रा ध्यान दो मिरी बात को ग़ौर से तुम सुनो ये बस्ती ये बाज़ार सड़कें तमाम मशीनों की बढ़ती हुई धूम-धाम ये मोटर ये रेलें ये नहरों के हाल करिश्मे ये बिजली के दिन की मिसाल ये सरसब्ज़ खेती ये सौदा-गरी ज़माने की चीज़ें ये अच्छी बुरी किताबों के अम्बार ये इल्म-ओ-फ़न ये ग़ुंचे शगूफ़े चमन-दर-चमन दहकते महकते हुए लाला-ज़ार गुलिस्ताँ की ये रौनक़ें पुर बहार ग़रज़ जो भी दुनिया में है सर-बसर वो इंसान की मेहनतों का है समर करोगे अगर तुम भी मेहनत से काम तो पाओगे दुनिया में आ'ला मक़ाम