इश्क़ तुम से है प्यार तुम से है ज़िंदगी में बहार तुम से है तुम ही तुम हो मिरे ख़यालों में ज़ह्न भी लाला-ज़ार तुम से है घर का आँगन हो या कि हो सहरा हर तरफ़ इक निखार तुम से है तुम से हट कर नहीं है कुछ भी यहाँ ज़ीस्त का ए'तिबार तुम से है चाँदनी हो कि हो शब-ए-फ़ुर्क़त हर घड़ी साज़गार तुम से है 'शौक़' की हो ग़ज़ल या गीत कोई ज़िंदगी का ख़ुमार तुम से है