आस्था By Nazm << धुँदली यादें कोह-ए-हिमाला >> पूजता है पेड़ कोई कोई पत्थर पूजता है और मंदिर में कोई भगवान को बस ढूँढता है गर श्रधा मन में नहीं तो पूजना बे-कार है आस्था है दिल में तो हर ज़र्रे में भगवान है Share on: