अब इंसाँ मजबूर नहीं By बाल कविता, Nazm << ऐ ज़मीन-ए-वतन हम नापते रहते हैं रोज़ >> ऐसे भी दिन आएँगे चाँद नगर में जाएँगे छुट्टी के दिन में हम सब पिकनिक वहाँ मनाएँगे वो दिन हरगिज़ दूर नहीं अब इंसाँ मजबूर नहीं Share on: