ऐ वतन ऐ वतन ऐ ज़मीन-ए-वतन हम हैं तारे तिरे तू हमारा गगन तेरी शोहरत ज़माने में सदियों से है तू वफ़ा के फ़साने में सदियों से है तू हमेशा रहे यूँ ही रश्क-ए-ज़मन ऐ वतन ऐ वतन ऐ ज़मीन-ए-वतन हम हैं तारे तिरे तू हमारा गगन क़ाबिल-ए-रश्क है तेरा नाम-ओ-नुमूद ऐ वतन दर-हक़ीक़त है तेरा वजूद शान-ए-गंग-ओ-जमन फ़ख़्र-ए-कोह-ओ-दमन ऐ वतन ऐ वतन ऐ ज़मीन-ए-वतन हम हैं तारे तिरे तू हमारा वतन लुटने देंगे न हरगिज़ तिरी आबरू हर क़दम पर तुझे दे के अपना लहू हम सलामत रखेंगे तिरा बाँकपन ऐ वतन ऐ वतन ऐ ज़मीन-ए-वतन हम हैं तारे तिरे तू हमारा गगन तुझ पे डालेगा कोई जो ओछी नज़र सरहदों से बढ़े कोई दुश्मन अगर हम निकल आएँगे सर पे बाँधे कफ़न ऐ वतन ऐ वतन ऐ ज़मीन-ए-वतन हम हैं तारे तिरे तू हमारा गगन