किसी गुम-शुदा रह-ए-राएगानी की साअ'तों के ग़ुबार में मैं छुपा रहा किसी दीदा-ए-अश्क-बार में मेरा अक्स शामिल न हो सका किसी गौहर-ए-आब-दार में मिरी ख़्वाब ख़्वाब सी ख़्वाहिशें मिरे ख़ार ख़ार से रत-जगे मिरे आइनों की शिकस्तगी मिरी बेबसी रही एक लम्हे की मुंतज़िर जो न आ सका जो न आएगा यूँही उम्र भर जो रुलाएगा यूँही उम्र भर जो रुलाएगा