हमें मअ'नी मालूम हैं उस ज़िंदगी के जो हम गुज़ार रहे हैं उन पत्थरों का वज़्न मालूम है जो हमारी बे-परवाई से उन चीज़ों में तब्दील हो गए जिन की ख़ूब-सूरती में हमारी ज़िंदगी ने कोई इज़ाफ़ा नहीं किया हम ने अपने दिल को उस वक़्त क़ुर्बान-गाह पर रखे जाने वाले फूलों में महसूस किया जब हम ज़ख़्मी घोड़ों के जुलूस के पीछे चल रहे थे शिकस्त हमारा ख़ुदा है मरने के ब'अद हम उसी की परस्तिश करेंगे हम उस शख़्स की मौत मरेंगे जिस ने तकलीफों के ब'अद दम तोड़ा ज़िंदगी कभी न जान सकती हम उस से किया चाहते थे अगर हम गीत न गाते