ये ख़्वाहिश है कि मैं गीली ज़मीं पर अपने दाएँ हाथ की उँगली से इक बे-हाशिया तस्वीर खींचूँ जो मिरे महबूब के चेहरे के तजरीदी तसव्वुर से मुज़य्यन हो हवा, गुलशन की दीवारों के रौज़न से इधर आए तो इस तस्वीर में अपने मोअत्तर रंग-ए-बू दे मिरे ख़ाके की तजरीदें मिटा दे उठा कर गीली मिट्टी से सजा दे मेरी आँखों में ये ख़्वाहिश है मेरी