मेरी आँखों में है बे-ख़्वाबी के नश्तर चुभन हर तरफ़ तीरा-शबी, हर तरफ़ एक घुटन कोई शोला न किरन सर्द होने को है दिल की धड़कन तक रही है मुझे किस हसरत से मेरे बिस्तर की हर इक दर्द से भरपूर शिकन डस न ले दिल को ये तन्हाई के एहसास की काली नागन ऐ मिरे ख़्वाब की दिल-कश परियो गुनगुनाती हुई ज़ुल्फ़ों की घटा सुर्ख़ रुख़्सार दमकते हुए लब नश्शा-ए-चश्म-ए-फ़ुसूँ-साज़ लिए मरमरीं जिस्म लिए शोला-ए-आवाज़ लिए आ सको आज अगर आ जाओ मेरी तन्हाई को चमका जाओ सर्द है आतिश-ए-दिल अपने आँचल की हवा से उसे दहका जाओ!