माह-ओ-अंजुम कँवल सितारे सुनो जब वो मह-वश नहीं है अपने पास बाद-ए-अब्र-ए-बहार है बे-कैफ़ चाँदनी मुज़्महिल है चाँद उदास उस की फ़ुर्क़त का किस क़दर एहसास हल्की हल्की फुवार से गोया भीगता जा रहा है शब का लिबास हिज्र की रात ये फ़ज़ा-ए-हसीं और कुछ बढ़ गई है दिल की यास उस की फ़ुर्क़त का किस क़दर एहसास महकी महकी हवाएँ बे-लज़्ज़त निगहत-ए-ज़ुल्फ़-ए-गुल न आई रास आज की शब में दिल-फ़िगारों को अब कहाँ होश और कैसा हवास उस की फ़ुर्क़त का किस क़दर एहसास आज उस के बग़ैर ऐ पाशा जैसे फूलों में हो न कोई बास जैसे काली घटाएँ लगती हों मुज़्महिल मुज़्महिल उदास उदास उस की फ़ुर्क़त का किस क़दर एहसास