ऐ मेरे ख़ुदा By Nazm << ख़्वाब आँखों से छिन गए तो ज़रा दूर चलने की हसरत रही... >> दश्त-ए-जाँ में सलीब-ए-अना पर लटकते हुए सर-बुरीदा ख़यालात की सिसकती हुई सरगोशियों में फ़ना और बक़ा लम्हा-ए-तक़्सीम में मुंजमिद हो चुके ऐ मेरे ख़ुदा Share on: