एक था राजा मेहदी अली ख़ाँ एक थी उस की रानी रानी की इक माँ थी या'नी बच्चा लोग की नानी करना ख़ुदा का ऐसा हुआ इक रोज़ कोई हम-साया राजा के दरबार में इक छोटी सी चूहिया लाया देखा जब उस चूहिया को हैरान हुए दरबारी पीती थी वो कोका-कोला खाती थी तरकारी अंग्रेज़ी में बातें कर के फ़िल्मी गाने गाती रंग बिरंगे डांस दिखा कर सब का जी बहलाती पर्दे से ये मंज़र देखा जब रानी की माँ ने सोचा हम-साए से ले ले चूहिया किसी बहाने बुढ़िया ने सर पीटा अपना ख़ूब किया वावैला ओढ़ लिया फिर वो दोपट्टा रंग था जिस का मैला कहने लगी चिल्ला चिल्ला कर राजा तेरी दुहाई ये है मेरा चोर कि इस ने मेरी भैंस चुराई छीन लो इस से भैंसें मेरी और मुँह पर मारो चाँटा देखो देखो सूख के मेरी भैंसें हुई है काँटा राजा मेहंदी अली ख़ाँ जो थे राजाओं के राजा काम न कुछ भी करते आठों-पहर बजाते बाजा गरज के बोले ओ मरदूद बता क्यूँ भैंस चुराई हम ने तो उस भैंस के आगे बरसों बीन बजाई राजा की ये बात सुनी तो कहने लगा हम-साया जिए वो सास कि चूहिया को भी जिस ने भैंस बनाया राज है तेरा इस नगरी में ख़ूब सज़ा दे मुझ को अक़्ल बड़ी या भैंस बस इतनी बात बता दे मुझ को