एल्बम By Nazm << दार-ओ-रसन ज़बान-ए-दरगोर >> उम्र-ए-रफ़्ता के रेशमी लम्हे धुँद में खो गए धुआँ बन कर नग़्मा ओ रंग के सभी मौसम रह गए ज़ेहन में ख़िज़ाँ बन कर बन गया हाल कत्बा-ए-माज़ी कैसी दुनिया है उस का हर मंज़र संग-बस्ता अज़ाब लगता है आँसुओं की किताब लगता है Share on: