अम्न की फ़ाख़ताएँ उड़ाएँगे हम सारी दुनिया को जन्नत बनाएँगे हम फूल खिलते रहें दीप जलते रहें ऐसी राहों पे सब लोग चलते रहें बात अपनी सभी को गवारा लगे ज़िंदगी यूँ जिएँ भाई-चारा लगे घर किसी का जले आ बुझाएँगे हम अम्न की फ़ाख़ताएँ उड़ाएँगे हम बाँध ले हर किसे प्यार की डोरियाँ पाट दें नफ़रतों की सभी खाइयाँ गोलियाँ न कभी सनसनाएँ कहीं गंध बारूद की आ न पाए कहीं एक दिन दौर ऐसा भी लाएँगे हम अम्न की फ़ाख़ताएँ उड़ाएँगे हम सारी दुनिया को जन्नत बनाएँगे हम