मुझे हरगिज़ ये अंदाज़ा नहीं था कि जब तुम ज़ीना ज़ीना दिल में उतरोगे तो उस के मौसमों को एक लहज़े में हदों से भी सिवा मसरूर और रंजूर कर दोगे तुम आओगे तो जन्नत और जहन्नुम साथ लाओगे ख़ुशी की आबशारें ग़म के झरने साथ फूटेंगे मिरे फैलाए दामन में अचानक ही तसव्वुर से कहीं आगे का सुख और दुख अता होगा ज़रा सोचो मता-ए-जाँ किसी के साथ दुनिया में अगर इस से बुरा होगा तो क्या होगा