किस लिए कहाँ से क्या हुआ कि मैं यहाँ आ पहुँचा अब मुझे कैसे ले जाया जाएगा वहाँ जहाँ मोहब्बत थी अनुराग था और उस का राज था आवाज़ के ख़ुदा अब तू ही बता कि अफ़्सोस किस पर किया जाए और किस को दुहाई दी जाए किस ने मुझे इस तरह मार दिया कि न तो मैं अपनी नज़र में रहा न दुनिया मेरी नज़र में उठाओ उसे वहाँ से जहाँ उठने से पहले था ही नहीं क्या जानूँ मैं कि तू ही वसुंदरा है बचा लो मेरे ख़ुदा कि मैं उड़ने से पहले ही उड़ रहा हूँ उस तरफ़ जहाँ धरती है न आकाश है सिवाए दुख के और इस की तलछट के अब मैं किस से पूछूँ कि मुझे किस ने मारा शाइ'री का दिन तो कभी हुआ नहीं मगर ये रात क्यूँ हो रही है रात को बचा लो वर्ना दिन उसे मार देगा ना-दीदा चाँदनी से कहो कि वो अपना चाँद ढूँढ कर लाए वर्ना मैं उसे ख़ुदा के सुपुर्द कर दूँगा और कहूँगा कि आइंदा नींद कभी पैदा न किया जाए घर घर दमक रही है चाँदनी क्यूँकि उस का ख़ुदा उसे दमकाने के लिए आ गया है